kavita
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हैरान ,परेशान,बियावान ,ज़िन्दगी
देती कभी आंसू ,कभी मुस्कान ज़िन्दगी .
महलों ,मकानों ,मोटरों को देख सोचता हूँ मैं
काश होती मेरी भी आलीशान ज़िन्दगी .
शोहरत का जुनूं खींच लाया इस मोकाम पर
रास आ गयी उन्हें ,बदनाम ज़िन्दगी .
यूँ ही किसी मोड़ पर आई जो याद तेरी
लगने लगी धुप में सायबान ज़िन्दगी .
अपने कद्रदानों में खो गये हो तुम
अच्छी भली थी वही गुमनाम ज़िन्दगी
कँवल ख्वाहिशों की हद में रहो
मुश्किल बहुत ,है नहीं आसान ज़िन्दगी .
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