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“हिंदी हमारे लिए गर्व की भाषा है”” contest ”

kavita
kavita
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कहते है हमारे देश में एक कोस पर बदले बानी ,तीन कोस पर पानी  | हमारा भारत विभिन्न राज्यों की
विभिन्न बोलियों वाला प्रदेश है ,कहीं बंगाली कहीं पंजाबी कही तमिल ,कही मलयालम ,उड़िया आदि
बोलियाँ है परन्तु हमारी राष्ट्रभाषा एक है हिंदी भाषा |
यश मालवीय जी के शब्दों में
हिंदी तो केवल हिंदी है
कावेरी है कालिंदी है
सांसों में बंगला -मलयालम
कन्नड़ ,गुजराती,सिन्धी है
हिंदी तो केवल हिंदी है |
किसी भी प्रदेश में चले जाइये वहां के लोग हिंदी बोलते अवश्य मिल जायेंगे उनका लहजा भले ही अलग और हिंदी
ठीक तरह से न बोल पाते हों|
अग्रेजों के आने से पहले मुगलों की भाषा उर्दू हिंदी मिलीजुली थी अग्रेज आये तो अपनी भाषा भी साथ लाये
जिसे बाद में हम भारतीयों ने सर -आँखों पर बैठा लिया और हिंदी भाषा से हम दूर होते चले गये |
अग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों ने हिंदी भाषा के महत्व को और भी कम कर दिया |सभी लोग चाहे वह निम्न वर्ग
के हों या उच्च वर्ग के सब अंधाधुंध अग्रेज़ी के पीछे भाग रहें हैं उन्हें लगता है अग्रेज़ी पढ़े बिना उनकी
शिक्षा पूरी नहीं मानी जाएगी|
जबकि ऐसा नहीं है हिंदी एक सशक्त भाषा है .आज भी ये अपने आन बान के साथ हमारे ह्रदय में विराजमान
है | साहित्य फ़िल्म,टी .वी .के माध्यम से इसका प्रचार -प्रसार हो रहा है |आम जन की जुबान पर हिंदी ही है
भले ही इसमें अग्रेज़ी के कुछ शब्द आ गये हैं परन्तु मूल भाषा तो हिंदी ही है |
आज जब विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का परिणाम निकलता है तो ध्यान दीजिये हिंदी माध्यम के भी
बहुत लोग सफल होते है |मेडिकल ,इंजीनियरिंग और अन्य उच्च सस्थानों में पढ़ाई का माध्यम अग्रेज़ी
होता है इसका कारण शायद मेरे विचार से ये हो की अधिकांश लेखक विदेशी होते होंगे |
हिंदी हमारी जड़ों में है ,इसलिए हिंदी का मान ,सम्मान ,प्रयोग तो हमेशा होता रहेगा |हिंदी हिदुस्तान
की भाषा है हमारे गर्व की भाषा है |
आज बड़े हर्ष की बात है की विभिन्न विभागों में हिंदी में कार्य करने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है
जो की हिंदी भाषा के लिए अमुल्य योगदान है |
अपने वैज्ञानिक कलेवर तथा सहज प्रक्रति के कारण हिंदी सहज सरल तथा बोधगम्य है इन्हीं
विशेषताओं के चलते यह विश्व की प्रमुख भाषाओँ में से एक है |संविधान के अनुच्छेद ३५१ में निहित
भावों को ध्यान में रखते हुए हम सभी को हिंदी विकास के प्रति जागरूक होना चाहिए |हिंदी
का प्रयोग न केवल हम सब का संवैधानिक कर्तव्य ही नहीं बल्कि नैतिक ज़िम्मेदारी भी है |
कन्हैया लाल नंदन जी के शब्दों में ……………
हिंदी स्वाभिमान की भाषा ,उगते से विहान की भाषा
इसके भीतर पैठो -देखो ,मीरा की ,रसखान की भाषा .
नहीं मिटेगी ,नहीं मिटेगी ,घर -आँगन -जहान की भाषा
इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता की हिंदी बाज़ार की या अनपढ़ों की भाषा है |हिंदी हिंदुस्तान
की भाषा है जब तक हिंदुस्तान है हिंदी है |
हिंदी हैं हम वतन है ,,जब भाषा की उन्नति होगी तभी देश की उन्नति होगी |

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