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मैंने सोचा था …

kavita
kavita
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मैंने सोचा था

अब की ईद
मनाएंगे संग
दुःख में रोयेंगे
ख़ुशी में
मुस्कुराएंगे संग .|
वास्ते ईद के
कुछ सामान होंगे ,
तेरी हसरतें होंगी
मेरे अरमान होंगे ,
लेकिन आ न सकूंगा
मैं इस ईद पर ,
फिर
इंतजार ,अगली
ईद का कर ,
वक्त ने किया
गर हमपे करम
अगली ईद

साथ मनाएंगे हम .

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