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नन्हीं गौरैया ….

kavita
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उतरती धुप के साथ .
एक गौरैया तडपड़ती
मेरी गोद में गिरी .


मैंने उसे उठाया ,
पानी पिलाया .
वह करुना मयीदिर्ष्टि
से मेरी और देखती रही .
मैंने पूछा क्यों री-
तुझे इस अंतहीन
आकाश में उड़ते हुए
चील.बाज,गिद्द से
डर नहीं लगता |
वह ब्यंग्य से मुस्काई ,
फिर बोली –
तुम चील बाज गिद्द की
बात करती हो ,
मेरे पड़ोसी ही विषधर हैं .
मुझे तो उनसे भी निपटना होता है
अपने आप को
सुरक्षित करना होता है
कैसे ?
मेरे प्रशन का उत्तर दिए बिना
वह मेरे अल्प ज्ञान पर हंसती
फुर्र से उड़ गयी …

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