kavita
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साथियों १०-०५ -१३ को मेरे भाई जो अरुणांचल प्रदेश में इंजीनियर थे उनका देहावसान
हो गया .वो दो माह का अवकाश ले कर गोरखपुर (घर ) आये थे .अभी जून में वे
४९ वर्ष पूरा करते .रात अच्छे भले खाना खा कर सोये तो फिर उठे ही नहीं .
तुम अचानक ही
चल दिए ख़ुदा के घर
छोड़ गये पीछे
आंसुओं की डगर .
एक पल सोचा
ना रुक कर
कैसे रहेंगे सब
कटेगा कैसे सफ़र .
तुम अचानक ही
चल दिए खुदा के घर .
सबसे नाता तोड़कर
आंसुओं को छोड़कर
तुम अचानक ही ,
चल दिए खुदा के घर .
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