kavita
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न्याय की नई एक किताब चाहिए
हमको अब इंसाफ़ चाहिए .
जनता जब कुछ बोली
चली बंदूक की गोली
उसकी उठ गयी अर्थी
जिसकी सजनी थी डोली
नहीं कोरी बकवास चाहिए
हमको अब इंसाफ चाहिए .
रो रहा चमन -चमन
रो रही कली -कली
रो रहा देश है
रो रही गली -गली
हर आंसुओं का हिसाब चाहिए
हमको अब इंसाफ चाहिए
क्यों नारी को जीने का अधिकार नहीं है
क्यों गरीबों की सुनी जाती पुकार नहीं है
या संसद में बैठे लोग हैं बहरे
या कह दें हमें इससे सरोकार नहीं है
हमको हर सवाल का जवाब चाहिए
हमको अब इंसाफ चाहिए .
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