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लोग औरत को फकत जिस्म समझतें हैं …..

kavita
kavita
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मां तूने उपकार किया ,अच्छा किया मुझे मार दिया .
मां जब तूने मुझे इस संसार में आने से पहले ही मार दिया तो मुझे तेरे उपर बहुत गुस्सा आया था .
लेकिन आज जब आप की दुनियां का हाल देख रही हूँ तो ,मुझे आप का फैसला जायज़ लग रहा है .
पल -पल मरने से अच्छा एक बार का मरना है .आप ने बहुत अहसान किया अपने संसार में
नहीं आने दिया .
आप मां हैं आप इस दुनियां में रही हैं ,इस संसार को भली -भांति जानती है आप को ये संसार
अपनी प्यारी बेटी के रहने लायक नहीं लगा होगा .
सब लोग तो इस तरह नहीं होते की सोचें

बद नजर उठने ही वाली थी ,किसी और की जानिब
अपनी बेटी का ख्याल आया ,तो दिल कांप गया
हर मांबाप अब लम्हा -लम्हा डर के साये में जीते होंगे कब ,कहाँ कोई शैतानी साया उनकी
बेटी पर न पड़ जाये .आज देश में हजारों घरों की बेटियां पढाई या नौकरी के कारण
महानगरों में रहती हैं जब फोन नहीं लगता होगा या रिंग जाने पर फोन उठाने में
थोड़ी देर होती हो तो माता -पिता को हजार तरह के बुरे -बुरे ख्याल आते होंगे .
लोग तो सिर्फ सोच कर ही कांप जा रहे हैं तो उनका क्या हाल होगा जिन मां -बाप
और बेटी पे ये बीती है .
अख़बारों में राजधानी के आन्दोलन ,प्रदर्शन की खबरें आ रही है ,और टी .वी . पर भी
दिखाया जा रहा है और साथ -साथ देश के कुछ स्थानों से महिलाओं के साथ बलात्कार
की भी खबरें छप रहीं हैं .ऐसा क्यों हो रहा है इतना हल्ले आन्दोलन के बाद भी अपराधी
ऐसे बलात्कार कर रहे हैं ?कारण उन्हें मालूम है की कुछ भी होगा नहीं इसलिए
बलात्कारियों की हिम्मत बढ़ी जा रही है .
टी .वी .पर एक महोदय (मुझे उनका नाम नहीं मालूम चैनल सर्च करते समय देखा नहीं
तो जरुर लिखती } कह रहे थे अभी देश गुस्से में है जब समाज शास्त्री बुद्धिजीवी
बैठेंगे तो इसका हल निकलेगा .
ब्रेकिंग न्यूज़ में आ रहा है जाँच होगी ,अब जाँच क्या होनी है वो लडकी बयाँ दे चुकी है
अपराधी पकड़े गये अब किस बात की जाँच होनी है .
कई वकीलों और जजों का कहना है बलात्कार के लिए संविधान में फांसी की सज़ा नहीं है
उम्रकैद की सज़ा है .
वैसे भी कई साल पहले कानून मंत्रालय ने ऐसे अपराधों के लिए फ़ास्ट ट्रेक अदालत का सुझव दिया था
लेकिन ग्रह मंत्रालय ने कोई ध्यान नहीं दिया .क्यों नहीं संसद में ऐसे अपराधों के लिया कठोर दंड
के विधेयक पास होते .
आज तक संविधान में कितने ही संशोधन हुए हैं क्या एक संशोधन और नहीं हो सकता की जबरदस्ती
की सज़ा फांसी निश्चित की जाये .मुझे तो डर है ऐसा विधेयक संसद में आया तो सारे
सांसद बड़ी -बड़ी नैतिकता की ,मानवता की दलीलें दे कर फांसी का सज़ा का विधेयक पास
ही नहीं होने देंगे .
किसी को ऐसा विधेयक लाना चाहिए जिससे हमारे सांसदों का सही चेहरा हम लोगो के
सामना आ सके .
या फिर संसार से भ्रूण हत्या द्वारा लडकियाँ ही समाप्त हो जाएँ लेकिन ऐसा तो होगा नहीं ये
तो प्रक्रति का नियम है स्त्री -पुरुष दोनों को ही रहना होगा इस खोखले लाचार समाज में
जहाँ

लोग औरत को फकत जिस्म समझते है …..
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