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बापू प्यारे..

kavita
kavita
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हम सब के ओ बापू प्यारे

सादर चरण स्पर्श तुम्हारे
कैसे कहें कुशल -मंगल है
आज देश में बड़ा दंगल है .
सबका दो -दो वेश हो गया
घोटालों का देश हो गया .
हो गईदेश की बहुत प्रगति
एक दिन में कईबहुएं जलती .
दुखिया यहाँ नहीं अब कोई ,
हर एक सुखीराम हो गया
देश को जब दिया बेच तो
हर एक सुखीराम हो गया .
सब कई अपनी रोज़ी -रोटी ,
कोई नहीं बेरोजगार
चमक गया है आजकल
राजनीति का व्यापार .
स्त्री -पुरुष सब हैं समान
कोई नहीं किसी से कम
पुरुष तो पुरुष
महिला भी हैं मानव बम .
और मैं क्या – क्या बात लिखूं
किसकी -किसकी घात लिखूं
अगर कभी धरती पर आये
भारत को तो पाओगे
पर भारत कई आत्मा को
ढूंढते रह जाओगे .
परोपकार को छोड़कर
यहाँ सभी का सस्ता दाम
छोटो को मेरी दुआ कहना
बड़ों को प्रणाम .
शेष फिर
तुम्हारी भारती

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