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रौशनी की मीनार (प्रकाश स्तम्भ )जागरण जंक्शन फोरम

kavita
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शिक्षक हमारे जीवन की राह में रौशनी की मीनार हैं जिनके सहारे हम अपने जीवन की राह में

सफलतापुर्वक आगे बढ़ते हैं .ये मेरा सौभाग्य रहा है की मुझे के .जी .1 से ही ऐसे शिक्षक मिले

जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा और सदा मन में यही इच्छा जगी की मैं भी उन्हीं की तरह बनु।

और आज मैं एक अध्यापिका हूँ और यही कोशिश करती हूँ कि उन्होंने जो सिखाया उस ज्ञान

और संस्कार को में अपने बच्चों (छात्रों )में विकसित कर सकू .

जब मैं कानपूर के सी .ओ,दी ,स्कूल में के,जी ,1 में पढ़ती थी ,मेरी क्लास टीचर थी सान्याल

मैडम ,हम सारी क्लास के बच्चे उनके दीवाने थे ,वे सभी बच्चों को प्यार भी बहुत करती थीं .

वो हमेशा क्लास में कोई न कोई कहानी जरुर सुनाती थी फिर उसी कहानी पे बहुत प्रश्न भी

करती थीं .और हर बच्चे से उत्तर चाहती थीं .उनकी एक कहानी मुझे आज भी याद है .

एक गांव में रामसरन पंडित जी रहते थे ,जो भोर होते ही स्नान आदि के

बाद पूजा -पाठ में लीन हो जाते थे .और सरे दिन भगवान की पूजा -अर्चना में लगे रहते थे .

उसी गांव में एक हाफ़िज़ जी रहते थे वो मस्जिद में लोगों को नमाज़ पढ़ाते और  के वक्त में

खुदा की इबादत किया करते थे .

उसी गांव में हरखू नाम का एक किसान रहता था .जो सुबह होए ही खेतों में चला जाता था

उसकी पत्नी बाद में उसका नाश्ता लेकर जाती थी .दोनों खापीकर खेतों में कम करते शाम

होने पे वापस आते फिर दोनों भोजन आदि के बाद बात करते -करते सो जाते .

एक दिन की बात है ,एक लड़का नदी में नहाते हुए कीचड़ में फँस गया वो जोर

जोर से बचाओ -बचाओ की आवाजें लगा रहा था ,हाफ़िज़ जी उधर से जा रहे थे आवाज़ सुनकर

पास गये तो देखा की लड़का बेचारा बुरी तरह चिल्ला रहा था हाफिज़ जी बोले घबराओ नहीं

मैं अभी जाकर किसी को भेजता हूँ की वो तुम्हें जल्दी से बाहर निकाले ,मेरी नमाज़ का वक्त

हो रहा है तम्हें छुने से मैं कीचड़ से नापाक हो जाऊंगा .वो तेज़ी से चले गये .

उनके पीछे पंडित जी आ रहे थे उन्होंने भी यही बेटा घबरा मत मैं अभी जाके किसी को भेजता हूँ

मेरी पूजा का समय हो था है इतना कह कर वो आगे बढ़ गये ,तभी आवाज़ सुनकर हरखू

दौड़ता हुआ आया और तुरंत बच्चे को नदी में से निकल कर ले आया  और अपने  साथ घर

ले जाकर उसको नहला -धुला कर कीचड़ साफ किया .और बच्चे को उसके घर तक छोड़

कर आया .

कहानी  सुनाने के बाद टीचर जी ने पूछा बताओ तीनो लोगों में सबसे अच्छा कौन था ?

हम सभी छोटी कक्षा के बच्चे थे लेकिन उत्तर तुरंत  दिया हरखू ,फिर मैडम ने पूछा क्यों ?

बच्चों ने अपनी टूटी -फूटी भाषा में उत्तर दिया था .

मैं भी ये कहानी  कक्षा में सुनती हूँ और प्रशन पूछती हूँ उत्तर आज भी वही मिलता है .तब मुझे

कहानी के बाद प्रशन पूछना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था लेकिन टीचर बनने के बाद

समझ में आया की प्रश्न ही तो मुख्य थे जिनके सहारे सिखने की प्रक्रिया आगे बढती थी .

इसी तरह मुझे आगे की कक्षाओं में भी गुरु मिलते गये .मुखर्जी मैडम ,फातिमा मैडम

खान मैडम ,राजेन्द्र सर ,दास सर जिनसे मैंने पढाई के अतिरिक्त बहुत कुछ सिखा

खास कर शिक्षक बनने के बाद उनकी बैटन का मर्म समझ में आया कि बच्चों से कैसे

बात करें ,कैसे पढ़ाया जाये कैसे उनसे वो संतुलित रिश्ता रखा जाये जिसमें निकटता ,दोस्ती ,

प्रेम ,मर्यादा सभी कुछ हो .

उनसे बिछड़े जमाना हो गया लेकिन उनकी यादें प्रकाश स्तम्भ की तरह आज भी जीवन की राहों

में उजाला बिखेर रही हैं .

ऐसे सभी शिक्षकों को शत -शत नमन .

(सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की बधाई )

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