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‘ प्यारे देश वासियों आप सब को स्वतन्त्रता दिवस की बधाई हो ‘आप को मेरा कहना एकदम औपचारिक और नीरस
लगा होगा .सच कहूं तो मैंने भी औपचारिकता ही पूरी की है .ह्दय से नहीं गले से कहा है और तो और मैं ये भी नहीं
कह पा रहा हूँ की मैं कुशल हूँ और आप लोग भी कुशलपूर्वक होंगे क्योंकि मैं यहाँ से साफ देख रहा हूँ आप ठीक नहीं
है और आप को दुखी देखकर मैं कैसे ठीक रह सकता हूँ .
यह सब देखकर मेरी आत्मा रोती है .जिस भारत हम लोगों ने सपना देखा था उसकी झलक कहीं भी नहीं
दिखती .ऐसे में राष्ट्रीय पर्वों की बधाई देना औपचारिकता ही तो है ये कोई हमारी होली ,दिवाली ,ईद ,
नहीं है की हम आपस में एक दुसरे को शुभकामना दें .होली ,ईद ,क्रिसमस तो हिदू मुस्लिम ,इसाई
मनातें है और राष्ट्रीय पर्वों को सामाजिक रूप से मनाने के लिए जाति से ऊपर उठकर इन्सान बनना
पड़ेगा .और क्या कहूँ कहतें हैं न अक्लमंद को इशारा काफी .
जिस दिन हम सब इन्सान बन जायेंगे ,अरे मैं तो भूल ही गया की मैं भूतपूर्व इन्सान हूँ ,हाँ जिस दिन
भारतवासी इन्सान बन गये उसी दिन सपनों का भारत आपके सामने होगा .ऐसा मेरा विश्वास है .
क्या आपको विश्वास है ? विश्वास हो भी तो केसे आप लोगों ने तो सपने देखने बंद कर दिए हैं
माफ़ कीजियेगा सपने देखना बंद नहीं किया उसका रूप बदल दिया है ,जैसे हमारे सपने होंगे
उसी के अनुरूप कम होंगे .काम क्या कहूँ हिंसा ,लुट ,बलात्कार .किसी ने अपने कल्पना में
मुझ से न्रत्य करवाया ,और नहीं तो मेरे हाथ में बंदूक भी थमा दिया .सच कहूं तो जब भगवान
को नहीं छोड़ा उन्हें जींस फना कर हाथ में मोबाईल थमा दिया तो बात ही छोडिय .इस पर आप
कहेंगे सारे लोग तो ऐसे नहीं हैं .मुझे हरिओम पंवार की कुछ लाइनें याद आ गयीं –
कहाँ बनेगें मंदिर -मस्जिद ,कहाँ बनेगी रजधानी
मंडल और कमंडल पी सबकी आँखों का पानी
प्यार सिखाने वाले ब्स्ते मज़हब के स्कुल गये
इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गये .
कहीं बमों की गर्म हवा है ,और कहीं त्रिशूल जले
सोन चिरैया सूली टंग गई ,पक्षी गाना भूल चले .
आँख खुली तो पूरा भारत नाखूनों से त्रस्त मिला
जिसको ज़िम्मेदारी दी ,वह घर भरने में व्यस्त मिला
क्या ये ही सपना देखा था ,भगतसिह की फांसी ने
जागो राजघाट के गाँधी ,तुम्हें जगाने आया हूँ .
मैं तो हमेशा से जग रहा हूँ ,लेकिन शरीर साथ देता तो अब कुछ करने की ब्याकुलता है .आप लोग
तो शरीर धारी हैं बीएस आत्मा को जगा लें तो मेरी पीड़ा कम हो जाएगी और जब सब जागेंगे तो
सपनों का भारत सामने होगा उसी दिन मैं आपको आत्मा से बधाई दूंगा और आप मुझे ह्रदय से
श्रधांजली .मेरे साथ और भी यहाँ भारत माता के सपूत हैं उन सबका भी यही कहना है
इसी आशा और विश्वास के साथ
आप का बापू
रास्ते में अँधेरा है तो भी क्या ,रौशनी के लिए हम जले जायेंगे
तुम हंसो मुस्काओ ऐ एहले वतन .इसलिए दूर हम चले जायेंगे
हमने देखे थे ख्वाब बहारो चमन के ,आ गयी देखो कितनी दिलकश बहार
हम रहें न रहें कोई गम नहीं ,होगा क्या बागबां गर बदल जायेंगे .
घाव तकसीम का अभी तक है हरा ,इसलिए आँखें खुली रखो जरा
रहो चौकस ऐ रहनुमाए वतन ,वरना जख्मों के बन सिलसिले जायेंगे .
आज़ादी तो मिली लेकिन मंजिल नहीं ,ये पड़ाव है सफर खत्म नहीं
आएँगी मुश्किलें आगे बहुत ,अभी इसमें बहुत मरहले आयेंगे .
गली की गुलामी से आज़ाद फिजा में ले आये हम जाने वतन को
नीले अम्बर से हम अब यही देखते ,मुल्क को आप अब कहाँ ले जायेंगे .
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