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बात सन 2009 की है मेरे बड़े भइया एम .इ .एस .में कार्यरत थे उन्हें kudaghat जी .आर .डी में आवास मिला था .सन 2010 में
में वो रिटायर भी हो गये .बाकी का सारा परिवार मैं माताजी और मेरी बड़ी बहन शहर में रहते हैं .रक्षाबंधन का दिन था
हम सब लोग घर पर ही थे .अचानक भाभी का फ़ोन आया पहले तो उनके रोने के कारण कोई बात समझ में नहीं
आ रही थी फिर उन्होंने रोते हुए बताया की भइया का एक्सीडेंट हो गया है सर में बहुत चोट आई है .
ऑफिस के कुछ लोग उन्हें लेकर शहर के हास्पिटल में आ रहें हैं .हास्पिटल हमारे घर के पास ही है .
हम सब लोग हास्पिटल पहुंच गये .
जब हम लोग हास्पिटल पहुंचे तो डाक्टर साहब बैठे थे ,भइया तब तक नहीं आये थे .रिसेप्शन
से पता चला कि डाक्टर साहब अब जाने ही वालें हैं क्योंकि उस दिन राखी बांधने का मुहूर्त चार
या साढ़े चार बजे का था .हम सब लोग भइया का इन्तज़ार कर रहे थे फोन करने पर पता
चला की बस पास ही आ गये हैं .तभी डाक्टर साहब केबिन से बाहर आ गये और जाने लगे
हम लोग दौड़ उनके पास गये और उन्हें पूरी बात बताई और थोड़ी देर रुकने का आग्रह किया
डाक्टर साहब ने कहा आप लोग जानतें हैं आज रक्षाबंधन है और समय भी हो गया है
……………………………अचानक मैंने रोते हुए डाक्टर का हाथ पकड़ लिया और
कहा की डाक्टर साहब आज रक्षाबंधन का दिन है आज के दिन हमें हमारा भाई लौटा दीजिये
ये आप का हमें वरदान होगा .डाक्टर साहब रुक गये थे भइया भी आ गये गये थे .उनका
पूरा सर खून से लतपथ था .डाक्टर साहब हमें तसल्ली देकर चेकअप के लिए अन्दर चले गये
पुरे दो घंटे बाद वो बाहर आये फिर किसी न्यूरो सर्जन को बुलवाया उनका तुरंत आपरेशन
हुआ .
डाक्टर साहब की मेहरबानी और खुदा की दुआओं से भइया को न्य जीवन मिला .
डाक्टर साहब की बहनें हास्पिटल में आ गयी थीं .रात आपरेशन के बाद उन्होंने
डाक्टर साहब को राखी बांधी .
हम सब डाक्टर के बहुत आभारी थे .और हमेशा रहेंगे .आज भी जब रक्षाबंधन आता है
तो हम सबको ये वाकया अपने आप याद आ जाता है और हम सब ख़ुदा का शुक्र अदा
करतें हैं की उसने हमें रक्षाबंधन के दिन हमें भाई के नवजीवन का वरदान दिया .
मां हमेशा डाक्टर को दुआए देती नहीं थकती हैं की उन्होंने उनके बेटे की जिंदगी बचा लिया .
अब हम लोग रक्षाबंधन के दिन ही भइया का जन्मदिन मनातें है .
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