kavita
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आदरणीय साथियों ये मेरी स्वरचित रचना नहीं है .लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी इसलिए आप से मिलवा रही हूँ .ये भोजपुरी भाषा में है .
यदि लेखन में कोई त्रुटी रह गयी हो तो माफ़ कीजियेगा .मुझे इस रचना के रचयिता का नाम ज्ञात नहीं है अन्यथा अवश्य लिखती .
…………..रउवा सासने का न बाटे हिसाब भाई जी
रउवा कुर्सी से झरे ला गुलाब भाई जी
रउवा भोपा ले के सगरो आवाज करी ला
हमरा मुहवा में लागल तेजाब भाई जी .
रउवा मलकिन के गलवा में किरिम लगे ला
हमरी नवकि क जर गईल भाग भाई जी .
रउवा लड़का त पढ़ी विलायत जाई के
हमरे लड़िका क जुरे न किताब भाई जी .
हमरे लड़िका के रोटिया पे नून नइखे
रउवा खावें रोज मुर्गा कबाब भाई जी .
रउवा अंगुली पे पुलिस और थाना नाचे ला
हमरे मुअले का होखे न हिसाब भाई जी .
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