kavita
- 72 Posts
- 1055 Comments
मुझे ले चल मेरे हमदम
तू ख्वाबों के सफर पे ,
यहाँ से दूर जाएँ ,वहीं इक घर बनाएं
बड़ी संग दिल दुनिया है
बड़ा मुश्किल सफर है
यहाँ से दूर जाएँ ,वहीं इक घर बनाएं .
चिनारों के घेरे में
आबशारों के डेरे में ,
गुलों से हम सजाएं
वहीं इक घर बनाएं .
जाफरानी हो दिन अपने ,
चांदनी रातों के सपने ,
रावी चिनाब के तट पे
चलो हम घूम आयें ,
वहीं इक घर बनाएं .
ज़मीं से जब मिले नौशीन
लगे कितनी दिलनशीन ,
बर्फीले सर्द मौसम में ,
उफ़क के पार जाएँ .
वहीं इक घर बनाएं ….
Read Comments