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यहाँ से दूर जाएँ ……..

kavita
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मुझे ले चल मेरे हमदम

तू ख्वाबों के सफर पे ,

यहाँ से दूर जाएँ ,वहीं इक घर बनाएं

बड़ी संग  दिल दुनिया है

बड़ा मुश्किल सफर है

यहाँ से दूर जाएँ ,वहीं इक घर बनाएं .

चिनारों के घेरे में

आबशारों के डेरे में ,

गुलों से हम सजाएं

वहीं इक घर बनाएं .

जाफरानी हो दिन अपने ,

चांदनी रातों के सपने ,

रावी चिनाब के तट पे

चलो हम घूम आयें ,

वहीं इक घर बनाएं .

ज़मीं से जब  मिले नौशीन

लगे कितनी दिलनशीन ,

बर्फीले सर्द मौसम में ,

उफ़क के पार जाएँ .

वहीं इक घर बनाएं ….

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